जर्नल ऑफ ग्लोबल हेल्थ साइंस की स्टडी में 20 मई तक का डेटा लिया गया है। इसके मुताबिक, 20 मई तक देश में पुरुषों में फैटेलिटी रेट 2.9% और महिलाओं में 3.3% थी। यानी, हर 100 महिला मरीजों में तीन से ज्यादा महिलाओं की मौत हो रही थी। जबकि, हर 100 पुरुष मरीजों में से ये आंकड़ा तीन से भी कम था।
80 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को ज्यादा खतरा
80 साल तक की उम्र के पुरुष मरीजों में फैटेलिटी रेट महिलाओं की तुलना में ज्यादा था। लेकिन, 80 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में फैटेलिटी रेट पुरुषों से ज्यादा था।
80 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में फैटेलिटी रेट 25.3% था। जबकि, पुरुषों में फैटेलिटी रेट 20.5% था। जबकि, इस उम्र से ज्यादा के दोनों मरीजों का फैटेलिटी रेट 22.2% था। यानी, 80 साल से ज्यादा उम्र के हर 100 कोरोना मरीजों में से 22 से ज्यादा की मौत हो रही थी।
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स्टडी के मुताबिक, 20 मई तक देश में 1 लाख 12 हजार 27 कोरोना संक्रमित थे। जबकि, 3 हजार 433 लोगों की मौत हो चुकी थी। संक्रमितों में से 65% से ज्यादा यानी 73 हजार 654 पुरुष मरीज थे। 38 हजार 373 महिलाएं थीं। मरने वालों में भी 63% से ज्यादा पुरुष ही थे।
लेकिन, महिला संक्रमित मरीजों में से 1 हजार 268 की मौत हो गई थी। जबकि, 2 हजार 165 पुरुष मरीजों की मौत हुई थी। इसलिए संक्रमितों में महिलाओं की संख्या भले ही पुरुषों के मुकाबले कम हो, लेकिन मौतों का प्रतिशत महिलाओं का ज्यादा था।
हालांकि, इस स्टडी में कोरोना से पुरुषों की तुलना महिलाओं की ज्यादा मौत होने का कारण नहीं बताया गया है।
लेकिन, ग्लोबल हेल्थ 50/50 के मुताबिक, दुनिया के 47 देशों में कोरोना से मरने वालों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या ज्यादा